1 मई को मजदूर दिवस के अवसर पर साजा में किसान मजदूर सम्मेलन का आयोजन
रायपुर :
प्रदेश कांग्रेस 1 मई को मजदूर दिवस के अवसर पर साजा में किसान मजदूर सम्मेलन का आयोजन किया गया है। कार्यक्रम में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के छत्तीसगढ़ प्रभारी पी.एल. पुनिया, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी सचिव एवं छत्तीसगढ़ प्रभारी चंदन यादव, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल, दुर्ग लोकसभा सदस्य एवं पिछड़ा वर्ग विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष ताम्रध्वज साहू, चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री डाॅ. चरणदास महंत, पूर्व नेता प्रतिपक्ष रविन्द्र चौबे, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धनेन्द्र साहू, पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा, विधायक दल के उपनेता कवासी लखमा, पूर्व मंत्री मो. अकबर, पूर्व मंत्री अमितेष शुक्ल, राज्यसभा सदस्य छाया वर्मा, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष डाॅ. शिवकुमार डहरिया, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष रामदयाल उईके सहित वरिष्ठ नेतागण शामिल होंगे।
राज्य में मजदूरों किसानों की दुर्दशा के खिलाफ विशाल सम्मेलन के जरिये कांग्रेस इनकी समस्याओं को उठायेगी। किसानों को कृषि संबंधित अनुदान देने में हो रही उगाही, मनरेगा में तयशुदा दिनों तक काम नहीं मिलना, काम के बाद मजदूरी भुगतान में देरी। राज्य में रोजगार के अभाव के चलते मजदूर का रोजगार की तलाश में पलायन करना एवं वहां भी ठेकेदारों द्वारा बंधक बनाकर काम करवाना, मजदूरी नहीं जैसे घटनाओं के लिये जिम्मेदार राज्य सरकार के खिलाफ ये सम्मेलन है। छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार ने किसानों को लगातार प्रताड़ित उपेक्षित और अपमानित किया है। अनेक किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो चुके है। धान और चने का सही दाम किसानों को नहीं मिल पा रहा है। भाजपा सरकार ने किसानों से वादाखिलाफी की है। खाद, बिजली, डीजल, कीटनाशक के दाम आसमान छू रहे है। कांग्रेस द्वारा लगातार मांग करने के बावजूद किसानों का सहकारी बैंको का कर्जमाफ नहीं किया गया। किसानों द्वारा खेती के लिये बड़े पैमाने पर लिये गये व्यक्तिगत कर्ज अलग है।
किसानों ने गहना गुरिया गिरवी रखकर, बेचकर किसानी की है, लेकिन सूखा पड़ जाने के कारण वो भी पैसा बर्बाद हो गया। किसानों को फसल बीमा की राशि या तो मिली नहीं या अपर्याप्त मिली है। राजनैतिक स्वार्थ के लिये सूखा पीड़ित किसानों की राहत राशि रोकना बेरहमी की इम्तिहा है। सूखा पीड़ित किसानों की स्थिति रोजगार के अभाव में नियंत्रण से बाहर हो गयी है। सूखा पीड़ित किसानों के खातों में क्षति पूर्ति की मुआवजा राशि कलेक्टरों के द्वारा जमा नहीं कराया जाना किसानों के साथ न सिर्फ अन्याय है अपितु उनका अपमान एवं प्रताड़ना भी हैं।
96 तहसीलों के किसानों को दी जाने वाली क्षतिपूर्ति मुआवजा राशि व्यापक सूखे के मुकाबले “ऊंट के मुंह में जीरा” के समान है। वह भी किसानों को अप्राप्त है। रमन सिंह का फर्जी विकास माॅडल किसान मजदूरों की हालत के लिये दोषी है, गरीब विरोधी, किसान विरोधी, मजदूर विरोधी नीतियां जिम्मेदार है। किसानों को रमन सिंह सरकार ने चैतरफा मारा है।
एक तो उनको दाना-दाना खरीदी का झूठा आश्वासन दिया, फिर वोट लेने के लिए 2100 रुपए समर्थन मूल्य देने का वादा किया और हर साल 300 रुपए बोनस देने का झूठ गढ़ा, न दाना-दाना खरीदी हुई, न समर्थन मूल्य मिला और न हर साल बोनस मिला, उनकी जमीनें हड़प लीं और उनका पानी उद्योगों को बेच दिया। किसान निराश होकर आत्महत्या कर रहा है। 731 करोड़ की अपर्याप्त राशि सूखा राहत के लिये छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिला कलेक्टरों को भेजे जाने के बाद भी आज तक सूखा राहत राशि छत्तीसगढ़ के 96 सूखा ग्रस्त तहसीलो के पीड़ित किसानो को नहीं दी गई है। यह किसानो के प्रति भाजपा सरकार की बेरहमी की इम्तिहा है। भाजपा सरकार की इन्ही किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ साजा से 1 मई मजदूर दिवस के दिन मजदूर किसान सम्मेलन में आवाज बुलंद की जाएगी।
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